बुधवार, 22 फ़रवरी 2023

अकेली है तो क्या हुआ आगे बढ़ पीछे मत देख
चलती जाना ये कारवां भी बनता जायेगा तुम्हारा
एक से दो हो गए अभी कदम बढाया ही तुमने 
और कुछ वक्त के बाद  ये बदला होगा सब नजारा
कम ही लोग कर पाते हैं साहस ऐसा 
शब्द नहीं हैं महसूश करता मैं कैसा

मंगलवार, 7 जून 2011

मेरी यादें

मेरी यादें
मेजर जयपाल सिंह
मैं एक जाट किसान का बेटा था ,तेजस्वी और अशांत | किसानों के घरों का खालीपन ,कर्ज पर ब्याज और औपनिवेशिक  शोषण द्वारा भारत के देहातों की भयंकर तबाही हमारे गाँव की सामंती आत्म  निर्भरता और लाइलाज बर्बादी ,देहाती बढ़इयों ,नाइयों ,कुम्हारों और जुलाहों की बेरोजगार फौजें , वह गर्वीली किसान जमात जो अपने दुखों को जबान पर भी नहीं ला सकती थी और अपने बेटों को ब्रिटिश इंडीयन फ़ौज में भाड़े के सिपाही बनाने के जरिये अपनी मुसीबतों का इलाज का इलाज करने का वहम पल रही थी , भूख और बदहाली के खिलाफ बगावत की पहली कस्मासह्तें और उनका निर्मम दमन ----ऐसा है १९२० के दशक का वह नजारा जो मेरी आँखों के सामने घूम जाता है और जिसके बीचों बीच होती है ,मेरी भैंस |
अपनी भैस की छाया में चलते हुए मैंने अपनी आँखों यह सब कुछ घटते हुए देखा है | लेकिन  ,मेरी भूमिका एक मूक दर्शक की नहीं रही थी | मैं उस जीवन का एक जीवंत अंग रहा हूँ जबकि मरता हुआ पुराना जमाना अभी पूरी तरह मारा नहीं था और उभरता हुआ नया जमाना अभी साफ तौर पर सामने नहीं आया था |
पुराने और  नए के संगम पर एक ऐसी पीढ़ी कड़ी थी जो पुराने के लिए अपने सीने   में दर्द लिए थी , हालाँकि उसे मालूम था की पुराना बच नहीं सकता और उभरते हुए नए से वह डरती थी | और , मैं इसका अपवाद नहीं था |

MAJOR JAIPAL SINGH


रविवार, 5 जून 2011

KUCHH APNE BARE MEIN

२४ जनवरी १९५६ के दिन मैंने अपनी मर्जी से अपना भूमिगत जीवन छोड़ दिया |पिछले १० वर्षों से मैं   अन्डर  ग्रा ऊंड  था |घर वाले मेरी वापसी की उम्मीद छोड़ चुके थे |हालाँकि दीगर लोगों का कहना थकी मैं जरूर जिन्दा हूँ और एक दिन जरूर लौटूंगा और वाकई लौट भी आया था|पश्चिमी उत्तर प्रदेश के उस छोटे और शांत से कसबे मुजफ्फरनगर में, हालाँकि वह जिला मुख्यालय   
था ,उस दिन पूरी गर्मजोशी से मेरा स्वागत करने के लिए हजारों की तादाद में किसान मजदूर और छात्र इकठ्ठा हुए थे |उन हैरान और जोशीले लोगों ने मुझे आगे करके पूरे कसबे में धूमधाम से जलूस निकाला और  टाउन  हाल पर पहुँच कर रूक गए | अब वे दिल ठनकर इस इंतजार में खड़े थे की मैं उन्हें अपनी अब तक की अन्डर ग्राउंड जिन्दगी के कुछ राज बताऊँ |